Gulzar Shayari | गुलजार साहब की शायरी

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By PyarSafar.Com

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New Gulzar Shayari 2025

New Gulzar Shayari 2025

बड़ा गजब किरदार है मोहब्बत का,
अधूरी हो सकती है मगर खत्म नहीं।

मंजिल भी उसकी थी रास्ता भी उसका था,
एक हम अकेले थे काफिला भी उसका था।

यूँ भी इक बार तो होता कि समुंदर बहता
कोई एहसास तो दरिया की अना का होता।

ऐसा कोई जिंदगी से वादा तो नही था,
तेरे बिना जीने का इरादा तो नही था।

तुम्हारे ख़्वाब से हर शब लिपट के सोते है,
सज़ाएँ भेज दो हम ने ख़ताएँ भेजी है।

ये रोटियाँ हैं ये सिक्के हैं और दाएरे है,
ये एक दूजे को दिन भर पकड़ते रहते है।

यूँ भी इक बार तो होता कि समुंदर बहता,
कोई एहसास तो दरिया की अना का होता।

कैसे करें हम ख़ुद को तेरे प्यार के काबिल,
जब हम बदलते हैं, तुम शर्ते बदल देते हो।

गुलजार साहब की शायरी

गुलजार साहब की शायरी

खता उनकी भी नहीं यारो वो भी क्या करते,
बहुत चाहने वाले थे किस किस से वफ़ा करते।

कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था,
आज की दास्ताँ हमारी है।

जागना भी कबूल है तेरी यादों में रातभर,
तेरे अहसासों में जो सुकून है वो नींद में कहाँ।

वो एक मुकम्मल गजल है,
टूटा हुआ मैं हर्फ हूँ
उसमे भरी नूरानीयत,
और मैं जरा कमज़र्फ हूँ।

बेशूमार मोहब्बत होगी उस बारिश की
बूँद को इस ज़मीन से,
यूँ ही नहीं कोई मोहब्बत मे इतना गिर जाता है।

हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते,
वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते।

वो उम्र कम कर रहा था मेरी,
मैं साल अपने बढ़ा रहा था।

आदतन तुम ने कर दिए वादे,
आदतन हम ने ए’तिबार किया।

Gulzar Shayari In Hindi

Gulzar Shayari In Hindi

तेरी मुस्कुराहट भी इस कदर कमाल करती है,
बेजार मन को भी गुलजार करती है।

एक बीते हुए रिश्ते की,
एक बीती घड़ी से लगते हो,
तुम भी अब अजनबी से लगते हो।

उठाए फिरते थे एहसान जिस्म का जाँ पर,
चले जहाँ से तो ये पैरहन उतार चले।

कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ,
उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की।

सहर न आई कई बार नींद से जागे,
थी रात रात की ये ज़िंदगी गुज़ार चले।

काई सी जम गई है आँखों पर,
सारा मंज़र हरा सा रहता है।

कोई न कोई रहबर रस्ता काट गया,
जब भी अपनी राह चलने की कोशिश की।

कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़,
किसी की आँख में हम को भी इंतिज़ार दिखे।

Gulzar Shayari On Life

Gulzar Shayari On Life

कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती हैं,
और कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता।

मिलता तो बहुत कुछ है इस ज़िन्दगी में,
बस हम गिनती उसी की करते है,
जो हासिल ना हो सका।

यू तो जिंदगी तुझसे शिकायते बहुत थी,
मगर दर्द जब दर्ज कराने पहुंचे तो कतारे बहुत थी।

जायका अलग है मेरे लफ्जों का,
कोई समझ नहीं पाता कोई भुला नहीं पाता।

पुरे की ख्वाहिश में ये इंसान बहुत कुछ खोता है,
भूल जाता है कि आधा चाँद भी खूबसूरत होता है।

मैंने अपनी जिंदगी के सारे महंगे सबक
सस्ते लोगों से ही सीखें हैं।

मुझे मालूम है की ये ख्वाब झूठे हैं,
और ख्वाहिशे अधूरी है,
मगर जिंदा रहने के लिए कुछ
गलतफैमिया जरूरी होती है।

वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर,
आदत इस की भी आदमी सी है।

Gulzar Shayari On Love

Gulzar Shayari On Love

इश्क उसे भी था,
इश्क मुझे भी था,
कम्बख्त उम्र बिच में आगई।

प्यार में कितनी बाधा देखि,
फिर भी कृष्ण के संग राधा देखि।

पहली बार देखा था उसे गुस्सा करते हुए,
अच्छा लगा था उसका मुझपे हक् जताते हुए।

बड़ी नादानी से पूछा उन्होंने,
क्या अच्छा लगता हे,
हमने भी धीरे से कह दिया,
एक झलक आपकी।

मेरे पास आने के लिए भी तुम हो,
और खोने के लिए भी तुम ही हो।

जो उम्र भर भी न मिल सके,
उसे उम्र भर चाहना इश्क है।

सुनो बेपनाह मोहब्बत है तुमसे,
अब तुम पास हो या दूर क्या फर्क पड़ता है।

तुम्हे जो याद करता हुँ,
मै दुनिया भूल जाता हूँ,
तेरी चाहत में अक्सर,
सभँलना भूल जाता हूँ।

Gulzar Sahab Shayari

Gulzar Sahab Shayari

दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई,
जैसे एहसान उतारता है कोई।

अगर कसमें सच होती,
तो सबसे पहले खुदा मरता।

जब से तुम्हारे नाम की मिसरी होंठ से लगाई है,
मीठा सा गम मीठी सी तन्हाई है।

कोई न कोई रहबर रस्ता काट गया,
जब भी अपनी रह चलने की कोशिश की।

हाथ छुटे तो भी रिश्ते नहीं छोड़ा करते,
वक़्त की शाख से रिश्ते नहीं तोड़ा करते।

आप के बाद हर घड़ी हम ने
आप के साथ ही गुज़ारी है।

ज़मीं सा दूसरा कोई सख़ी कहाँ होगा,
ज़रा सा बीज उठा ले तो पेड़ देती है।

आँखों से आँसुओं के मरासिम पुराने हैं,
मेहमाँ ये घर में आएँ तो चुभता नहीं धुआँ।

Gulzar Shayari In Hindi 2 Line

Gulzar Shayari In Hindi 2 Line

काश नासमझी में ही बीत जाए ये जिंदगी,
समझदारी ने तो बहुत कुछ छीन लिया।

सुना हैं काफी पढ़ लिख गए हो तुम,
कभी वो भी पढ़ो जो हम कह नहीं पाते हैं।

सबके सामने हाथ पकड़ लेता है तुम्हारा,
ये चूड़ीवाला भी एक दिन मार खायेगा मुझसे।

आइना देख कर तसल्ली हुई,
हम को इस घर में जानता है कोई।

हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में,
रुक कर अपना ही इंतिजार किया।

शाम से आँख में नमी सी है,
आज फिर आप की कमी सी है।

कोई अटका हुआ है पल शायद,
वक़्त में पड़ गया है बल शायद।

मुझसे तुम बस मोहब्बत कर लिया करो,
नखरे करने में वैसे भी तुम्हारा कोई जवाब नहीं।

Gulzar Ki Shayari In Hindi

Gulzar Ki Shayari In Hindi

संघर्ष में आदमी अकेला होता है,
सफलता में दुनिया उसके साथ होती है।

ख़ामोशी से भी नेक काम होते है,
मैंने देखा है पेड़ों को छाँव देते हुए।

गुलजार की शायरी दर्द भरी,
वो शख्स जो कभी मेरा था ही नही,
उसने मुझे किसी और का भी नही होने दिया।

ख़ामोशी से अपनी पहचान बनाते रहो
वक्त खुद बताएगा तुम्हारा नाम।

मुझे छोड़ कर वो खुश है तो सिकायत केसी,
अब्ब मैं उससे खुश ना देखु तो मोहबात केसी।

एक बार तो यूँ होगा कि थोड़ा सा सुकून होगा,
ना दिल में कसक होगी और ना सर पे जूनून होगा।

कुछ बातें तब तक समझ में नहीं आती,
जब तक ख़ुद पर ना गुजरे।

जिन्हें वाकई बात करना आता है,
वो लोग‍ अक्सर खामोश रहते है।

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